हस्तिनापुर का इतिहास - Hastinapur history in hindi

प्रिय पाठक को नमस्कार मैं गौरव शर्मा अपने नए ब्लॉग में आप सभी का स्वागत करता हूँ आज मैं आप सबको भारत के प्राचीन शहर हस्तिनापुर के बारे में अपने अनुभव साझा कर रहा हूँ, मैं हस्तिनापुर अपने जीवन में बहुत बार गया हूँ तथा जितनी भी बार में हस्तिनापुर गया मुझे वहाँ की सुन्दरता तथा उसकी हिंदू धर्म के अनुसार पौराणिकता ने हर बार अपनी ओर आकर्षित किया है आज मैंने प्रयास किया है कि जो मैं हस्तिनापुर के बारे में अनुभव करता हूँ वो सब अपने प्रिय पाठकों के साथ साझा करूँ

हस्तिनापुर का इतिहास - Hastinapur history in hindi
हस्तिनापुर का इतिहास - Hastinapur history in hindi

प्रिय पाठक को नमस्कार मैं गौरव शर्मा अपने नए ब्लॉग में आप सभी का स्वागत करता हूँ आज मैं आप सबको भारत के प्राचीन शहर हस्तिनापुर के बारे में अपने अनुभव साझा कर रहा हूँ,मैं हस्तिनापुर अपने जीवन में बहुत बार गया हूँ तथा जितनी भी बार में हस्तिनापुर गया मुझे वहाँ की सुन्दरता तथा उसकी हिंदू धर्म के अनुसार पौराणिकता ने हर बार अपनी ओर आकर्षित किया है आज मैंने प्रयास किया है कि जो मैं हस्तिनापुर के बारे में अनुभव करता हूँ वो सब अपने प्रिय पाठकों के साथ साझा करूँ 

हस्तिनापुर का इतिहास - Hastinapur history in hindi

हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार हस्तिनापुर शहर का एक बहुत ही अलौकिक इतिहास रहा है। हस्तिनापुर शहर आज से 5000 साल पहले द्वापर युग में कुरुवंश राज्य की राजधानी हुआ करता था। महाभारत के मुख्य पात्र कौरवों व पांडवों ने अपने जीवन का अधिकतर समय इसी पौराणिक शहर में व्यतीत किया था। आज भी हिंदू धर्म के लोग यहाँ स्थित पौराणिक मंदिरों तथा पूज्य स्थलों पर उतनी ही श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं।आज के समय में हिंदू धर्म के साथ साथ जैन धर्म के भी बहुत सारे मंदिर हस्तिनापुर शहर में स्थित है। जो इस पौराणिक शहर की पौराणिकता तथा सुंदरता को और बढ़ाते है। मैं आपको इतना विश्वास दिला सकता हूँ की एक पर्यटक के रूप में आपको यहाँ जो प्राकृतिक सौंदर्यता,दो धर्मों का अद्भुत मिलन तथा इतिहास के कुछ ऐसे अनसुलझे पहलू देखने के लिए मिलेंगे जो आपके जीवन में एक अद्भुत अनुभव ले कर आएँगे तथा आपको बार बार हस्तिनापुर आने के लिए प्रेरित भी करेंगे।

अब मैं आपको हस्तिनापुर पहुंचने के लिए सभी साधनों के बारे में विस्तार से बताता हूँ। यदि आप हवाई जहाज का सफर तय करके हस्तिनापुर पहुंचना चाहते हैं तो हस्तिनापुर के सबसे निकट हवाई अड्डा इंदिरागांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डा होगा जो भारत देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। नई दिल्ली से हस्तिनापुर की दूरी लगभग 113 किलोमीटर है। यदि आप भारतीय रेल की सेवाओं का अनुभव करते हुए हस्तिनापुर पहुंचना चाहते हैं तोसबसे पहले आपको मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन उतरना होगा जनापुर शहर से 37 किलोमीटर दूर है। मेरठ शहर से हस्तिनापुर शहर के लिए सुचारु रूप से उत्तर प्रदेश रोडवेज बसे चलती है। मेरठ शहर से हस्तिनापुर तक का सफर 70-80 मिनट का होता है।इस सफर के बीच आप भारतीय इतिहास में दर्ज कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्थानों को भी देख सकते हैं जैसे कि मेरठ में स्थित शहीद स्मारक जो कि भारतीय स्वतंत्रता इतिहास में एक मैं एक महत्वपूर्ण जगह बनाए हुए है।तो दोस्तों इस तरह हस्तिनापुर इसलिए भी एक पर ये अच्छा पर्यटक स्थल है क्योंकि आप यहाँ हवाई यात्रा करके रेल यात्रा करके तथा बस के सफर का लुत्फ उठा कर पहुँच सकते हैं।

हस्तिनापुर को पर्यटक स्थल – Tourist places of Hastinapur in hindi

हस्तिनापुर को जैन धर्म के लोगों के लिए जैन-तीर्थ भी कहा जाता है। यहाँ जैन धर्म के बहुत ही सुन्दर तथा अद्भुत वात्सुकला वाले मंदिर स्थित है।

जंबुद्वीप - Jambudvipa : 

हस्तिनापुर की सबसे मनमोहक इमारतों में से एक जंबुद्वीप है। इस इमारत के चारों तरफ़ बहुत सारे मंदिर तथा बाग बगीचे हैं। इस इमारत की ऊँचाई लगभग 115 फ़ीट ऊंची है। इस जंबुद्वीप के समीप स्थित ध्यान मंदिर,सबसे आकर्षक तथा अद्भुत स्थान है। ध्यान मंदिर में जब आप प्रवेश करते हैं तो आपको एक अलौकिक शांति का अनुभव होता है। आपको ऐसा अनुभव होगा की इस मंदिर में आकर आपका बाहरी दुनिया से कोई नाता नहीं है, इस मंदिर में कोई मूर्ति स्थापित नहीं की गई है, परन्तु फिर भी आपको एक दिव्यशक्ति के होने का अनुभव इस मंदिर परिसर में होता है।

कैलाश पर्वत - Kailash Parvat in hindi

यह मंदिर आपको जैन धर्म के तीर्थंकरों का भूत भविष्य तथा वर्तमान दिखाता है। इस मंदिर में तीन तल बनाए गए हैं जिसमे हर एक तल पर 24 अलग अलग जैन धर्म के मंदिर है अर्थात पूरे कैलाश पर्वत पर आपको 72 अलग अलग तरह के जैन मंदिर देखने को मिलेंगे। यह अद्भुत इमारत जैन धर्म परिसर के बीचोबीच स्थित है तथा इस इमारत की उचाई लगभग 150 फ़ीट ऊंची है।

श्री अष्टापद तीर्थ - Shri Ashtapad Teerth

यह इमारत मुख्य जंबुद्वीप से कुछ दूरी पर स्थित है, इस इमारत कानिर्माण आज से लगभग सात 8 साल पहले किया गया है। यह इमारत आज के समय में हस्तिनापुर की सबसे आकर्षक इमारत है, इस इमारत में आठ स्थल बनाए गए हैं तथा सबसे ऊपर एक भव्य जैन मंदिर स्थित है। इस इमारत की सबसे ऊंची तल पर खड़े होकर आप हस्तिनापुर की प्राकृतिक सौंदर्यता को अच्छी तरह से निहार सकते हैं, यह एक बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है,।

दिगंबर जैन बड़ा मंदिर - Shri Digambar Jain Prachin Bada Mandir

दिगंबर जैन मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है। इसे हस्तिनापुर जैन मंदिर के नाम से भी लोग जानते हैं । मंदिर के बीचो बीच एक अद्भुत भगवान की मूर्ति स्थापित की गई है, यह मूर्ति हमेशा से ही लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने में पूरी तरह से समर्थ रही है। इसी परिसर में शुद्ध जल पीने की व्यवस्था, वृद्ध आश्रम, तथा जैन धर्म से संबंधित एक बहुत बड़ा पुस्तकालय स्थित है, अतः यदि आप जैन धर्म में रुचि रखते हैं तो आपके पास जैन धर्म को विस्तृत रूप से जानने का एक सुनहरा अवसर है। 

हस्तिनापुर के प्राचीन हिंदू मंदिर- हस्तिनापुर में स्थित बहुत सारी ऐसी प्राचीन जगह है जिनका हिंदू धर्म में एक अलौकिक महत्व माना जाता है इनमें से कुछ ऐसी प्राचीन जगहों के बारे में मैं आपको बताने वाला हूं।

प्राचीन पांडेश्वर मंदिर - Prachin Pandeswar Mandir 

ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी तथा इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा के साथ साथ पांचो पांडव युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव की प्रतिमाएं स्थापित है। यहां के स्थानीय लोगों लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब गुरु द्रोण पहली बार हस्तिनापुर पधारे थे तो वह इसी स्थान पर Kauravo तथा पांडवों से मिले थे, महाकाव्य महाभारत के अनुसार गुरु द्रोण जब धृतराष्ट्र तथा पांडू पुत्रों से मिले तो उनकी एक गेंद यहां स्थित एक कुएं में गिर गई थी, जिसकी वजह से सभी राजकुमार बहुत व्याकुल थे तो गुरु द्रोण ने कुछ घास के तिनकों की मदद से उस गेंद को यहां स्थित गहरे कुएं से निकाल दिया था। अतः जिस से प्रभावित होकर गंगा पुत्र भीष्म ने गुरु द्रोण को सभी राजकुमारों को वेदों, ग्रंथों तथा भिन्न भिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्रों की शिक्षा देने का दायित्व दिया। ऐसा माना जाता है कि सभी राजकुमारों ने इसी स्थान पर अपनी शिक्षा ग्रहण की थी।

करण मंदिर - Karan temple Hastinapur

यह भी एक प्राचीन महाभारत कालीन भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण महारानी कुंती के जेष्ठ पुत्र करण द्वारा किया गया था, यहां के स्थानीय लोगों का ऐसा भी मानना है कि मंदिर का निर्माण करण ने अंग प्रदेश के राजा बनने से पहले कराया था तथा करण नित्य प्रतिदिन इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते थे तथा अपनी प्रतिज्ञा अनुसार हर किसी अपने सामने आने वाले मनुष्य को उसका मनवांछित दान प्रदान करते थे।

करण घाट -

आज के समय में यह स्थान भारी वन से घिरा हुआ है, ऐसा माना जाता है कि अंग प्रदेश के राजा करण भगवान भोलेनाथ की आराधना से पहले प्रतिदिन किसी जगह पर गंगा में स्नान किया करते थे तथा उसके बाद भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जाकर पूजा आराधना करते थे तथा दान दिया करते थे।

आपको जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि हिंदू तथा जैन धर्मों के अलावा हस्तिनापुर का संबंध सिख धर्म से भी माना जाता है, हस्तिनापुर से ढाई किलो मीटर दूर स्थित SAIFPUR गांव में भाई धर्म सिंह जी कहां गुरुद्वारा स्थित है। यह स्थान सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा ऐसा माना जाता है कि यह स्थान पंच प्यारे भाई धर्म सिंह का जन्म स्थल भी है जो गुरु गोविंद सिंह जी के बहुत प्यारे माने जाते हैं। हर रविवार को इस गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है जिसमें आपको स्वादिष्ट भोजन प्राप्त होता है । 

हस्तिनापुर अपनी धार्मिक महत्त्व के साथ साथ कुछ ऐसी चीजों के लिए भी प्रसिद्ध हैं जो चीजें आपको सिर्फ हस्तिनापुर में देखने के लिए मिलेंगी जैसे की ऐरावत हाथी की सवारी ,हस्तिनापुर के आकर्षण का केंद्र ऐरावत हाथी की सवारी का आनंद आप केवल ₹20 का टिकट लेकर उठा सकते है, ऐरावत हाथी की सवारी करते समय आपको पूरे जंबुद्वीप परिसर कि परिक्रमा कराई जाती है जिसमे आप बहुत सारी आकर्षक चीजे देख सकते हैं।

ऐरावत हाथी की सवारी के अलावा आप हस्तिनापुर में नौकायन का भी आनंद उठा सकते हैं, ऐसी मान्यता है कि इस नौकायन के दौरान यदि आप एक सिक्का गंगा में डालते हैं तो आपके मन में जो भी इच्छा होती है माँ गंगा उसे अवश्य पूरा करती है।

हस्तिनापुर का भोजन-

हस्तिनापुर में आपको बहुत तरह का अलग अलग स्वादिष्ट भोजन मिलेगा परन्तु स्थानीय लोगों के अनुसार ओम की चाट वहाँ का सबसे स्वादिष्ट व्यंजन है, तो यदि आप हस्तिनापुर आ रहे हैं तो एक बार यहाँ की प्रसिद्ध चाट का लुफ्त अवश्य उठाएं।

हस्तिनापुर का मौसम- 

जनवरी से मार्च तक तक हस्तिनापुर में कड़ाके की ठंडी होती है तथा यहाँ का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तक चला जाता है परन्तु वही मई जून में यहाँ का तापमान 45 डिग्री तक भी होता है और फिर इसके अलावा जुलाई अगस्त में आपको यहाँ जोरदार बारिश भी देखने के लिए मिलेंगी लेकिन पर्यटकों के लिए सितंबर से दिसंबर तक का समय सबसे उपयुक्त है।

ठहरने की व्यवस्था-

यदि आप एक उच्च सुविधाजनक ठहरने का स्थान चाहते हैं तो आपको हस्तिनापुर से 35किलोमीटर दूर मेरठ में ठहरना होगा परंतु यदि आप हस्तिनापुर के स्थानीय लोगों को जानना चाहते हैंऔर यहाँ और ज्यादा समय बिताना चाहते हैं तो आपको हसनपुर में भी एक अच्छा स्थान मिल जाएगा।

हस्तिनापुर केवल पौराणिक कथाओं, राजाओं, मंदिरों या इसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है अपितु यहाँ बनने वाली हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है, यहाँ के ज्यादातर मूर्तिकार बंगाली है, तो आप ऐसा भी कह सकते हैं की एक तरह से आप यदि हस्तिनापुर घूमने आते हैं तो आपको यहाँ अलग अलग धर्मों के लोग अलग अलग प्रदेश से आए लोग एक साथ खुशी खुशी रहते दिखाई।

हस्तिनापुर केवल भारत के गौरवशाली धार्मिक इतिहास को ही नहीं दिखाता है बल्कि हस्तिनापुर का महत्त्व भारत की राजनीति में भी बहुत उच्च है ऐसा माना जाता है कि यदि हस्तिनापुर लोकसभा सीट से जिस पार्टी का उम्मीदवार विजयी होता है, उत्तर प्रदेश राज्य में उसी उसी पार्टी की सत्ता आती है तो ऐसा कह सकते हैं कि यदि आप घूमना पसंद करते हैं आपको इतिहास पसंद है आप राजनीति में रुचि रखते हैं तो आपको जरूर हस्तिनापुर आना चाहिए क्योंकि आपको यहाँ धर्म, इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता, राजनीति सभी चीजों का संगम इस पावन धरती पर देखने को मिलेंगे।

आशा करता हूँ की मैं गौरव शर्मा आप सब के सामने हस्तिनापुर की एक जीवंत तस्वीर लाने में सक्षम रहा हूँ और आशा करता हूँ कि जल्द आप हस्तिनापुर आएँगे धन्यवाद।

हस्तिनापुर की खोज कब और किसने की?

हस्तिनापुर एक प्राचीन शहर है, हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार 5000 साल पहले द्वापर युग में हस्तिनापुर कुरुवंश की गौरवशाली राजधानी हुआ करता था। 

हस्तिनापुर किसका पुराना नाम है?

हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार हस्तिनापुर के प्रथम राजा महाराज भरत हुए थे।

हस्तिनापुर के राजा का नाम क्या था?

हस्तिनापुर कुरुवंश राज्य की गौरवशाली राजधानी थी जिस पर राजा धृतराष्ट्र के बाद पांडु के जेष्ठ पुत्र युधिष्ठिर ने राज्य किया।

महाभारत का प्रथम राजा कौन था?

महाभारत के प्रथम राजा सम्राट कुरु थे।

हस्तिनापुर कौन से राज्य में आता है?

आज के समय में उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जिले में स्थित है।

हस्तिनापुर का अंतिम शासक कौन था?

महाभारत के अनुसार हस्तिनापुर का अंतिम शासक सम्राट निचक्षु थे, सम्राट निचक्षु महाराज परीक्षित के सातवें वंशज थे।