अलवर यात्रा करने की और अलवर में घूमने की जगह की संपूर्ण जानकारी - Best tourist places in Alwar in Hindi

मेरे प्रिय पाठक आपका प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में, इस लेख में हम अलवर और भूतों की कहानियों के लिए प्रसिद्ध, भानगढ़ का किला की संपूर्ण जानकारी देंगे अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें |

अलवर यात्रा करने की और अलवर में घूमने की जगह की संपूर्ण जानकारी - Best tourist places in Alwar in Hindi
अलवर यात्रा करने की और अलवर में घूमने की जगह की संपूर्ण जानकारी - Best tourist places in Alwar in Hindi

अलवर में घूमने की जगह  - Alwar Tourist places in Hindi :

अलवर, राजस्थान का सबसे खुबसूरत शहर है। जयपुर से 150 कि.मी. दूर यह शहर अरावली की पहाड़ियों में बसा हुआ है। यहाँ के पर्वत, किले, गढ़, दुर्ग यहाँ के बहादुरी के किस्से सुनाते हैं और साथ ही यहाँ की विरासत, संस्कृति और परंपरा, शानों शौख्त का आनंद उठाना हर व्यक्ति के लिए एक नया अनुभव होगा। तो यदि आप भी इस शहर का अनुभव उठाना चाहते हैं और इस शहर की यात्रा पर निकल रहे हैं तो हमारा ये लेख आपको अलवर के उन दर्शनीय स्थलों की जानकारी देगा जहाँ आपको अवश्य जाना चाहिए। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े।    

अलवर का इतिहास - Alwar History in hindi :

अलवर राजस्थान का आठवाँ बड़ा शहर है। राजस्थान का सिंह द्वारा कहलाने वाला यह शहर एक ऐतिहासिक नगर है जिसका निर्माण 1106 विक्रम संवत में आमेर के राजा ने किया था। कहा जाता है कि अलवर को मेव राजपूत नाहर खाँ के वंसज अलावल खाँ ने अपनी राजधानी बनाया था, उसके नाम पर ही इसका नाम अलवर पडा! अलवर पर राजपूत राजाओं ने ही शासन किया था जिनकी शाखाओं को उनके प्रभुत्व के अनुसार बँटा गया था-

  • राठ क्षेत्र
  • वई  क्षेत्र
  • नरुखंड
  • मेवात क्षेत्र

माना जाता है इसी शहर के विराट नगर में पांडवों ने अपना आज्ञावास पूरा किया था जिस कारण इस शहर का इतिहास महाभारत के इतिहास से भी पुराना कहा जा सकता है। 

अलवर के मुख्य पर्यटक स्थल - Famous Tourist Place in Alwar in Hindi :

1. भूतों की कहानियों के लिए प्रसिद्ध, भानगढ़ का किला - Famous for the ghost stories, Bhangarh Fort in hindi :

अपने भूतिया किस्सों के लिए जाने जाना अलवर का भानगढ़ किला सरिस्का टाइगर रिजर्व  की सीमा पर स्थित है जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। किले का नामकरण राजा मान सिंह प्रथम और माधो सिंह प्रथम के दादा भान सिंह के नाम पर किया गया था। 

अपनी ऐतिहासिकता और प्रसिद्धि के चलते यह किला पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध हैं। इस किले कलाकृति और यहाँ के अवशेष ही इसकी प्रमुखता के कारण हैं। लेकिन साथ ही यहाँ की डरावनी कहानियों के चलते आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा रात के समय किले में जाना प्रतिबंधित है।

कहा जाता है रात के समय किले से अजीब से आवाजें आती हैं, किसी के रोने की, चूड़ियाँ तोड़ने की, अजीब सी गंध महल से आती है साथ ही एक तरह का संगीत भी सुनाई देता है। यहाँ आस-पास के लोगों ने किसी को अपने पीछे चलते महसूस किया है। इस अलौकिक शक्तियों का कारण ऋषि बाला की भविष्यवाणी मानी जाती है, जिस कारण किला बनते ही तहस-नहस हो गया।

2.अलवर शहर से 1000 फीट ऊपर, बाला किला - 1000 feet above the Alwar city, Bala Quila in hindi (Alwar fort history in hindi):

अलवर का यह प्राचीन किला अरावली रेंज पर स्थित है। अरावली पहाड़ियों के हरे-भरे मैदानों से लगभग 1000 फीट ऊँचाई पर बना हुआ है जो 5 कि.मी. लंबा और 2 कि.मी. चौड़ा है। इस किले का निर्माण 15 वीं शताब्दी में हसन खां मेवाती ने कराया था। अपनी पुरानी और ऐतिहासिक कलाकृति और परंपरा के चलते यह अलवर शहर की धरोहर है। जय पोल, लक्ष्मण पोल, सूरत पोल, चाँद पोल, अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार इस किले के 6 मुख्य द्वार हैं। इसके अलावा किले में 15 बड़े और 51 छोटे टावर हैं जो इस किले की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।

किले के बाहरी किले पर लगभग 446 गोलियों के छेद हैं जो इस किले की वीरता की कहानी सुनाती हैं। साथ ही किले में कई मंदिर- कुंभ निकुंभों की कुलदेवी, करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान मंदिर, सीताराम मंदिर सहित जय आश्रम, सलीम सागर, सलीम बारादरी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य कारण है।  

3.अरावली पहाड़ियों में बसे, सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान - Nestled in the Aravali Hills, Sariska National Park in hindi :

अलवर की अरावली हिल में लगभग 800 वर्ग क्षेत्र में बना सरिस्का रास्ट्रीय उद्यान अलवर का प्रसिद्ध वन्य जीव अभ्यारण्य है। घास के मैदानों, सूखे पंखों, चट्टानों और चट्टानी परिदृश्यों के एक मील में स्थित इस वन्य अभ्यारण्य को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था।

इस अभ्यारण्य का 90% हिस्सा पेड़ों से ढका हुआ था जो मानसून के मौसम में और भी हरे-भरे लगते हैं। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान अपने रॉयल बंगाल टाइगर के लिए लोकप्रिय है। यह बाघों का पहला रिजर्व है जो रणथंभौर से बाघों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करता है। 

इस उद्यान में वन्यजीव जीवों की विस्तृत प्रजातियाँ सांभर, चीतल, चौसिंगा, नीलगाय, जंगली सूअर, रीसस मकाक (लंगूर), सिंगा हिरन और लैंगर्स शामिल हैं। सरह ही यहाँ जंगली कुत्ते, तेंदुए, जंगली बिल्ली, सियार, हाइन जैसे मांसाहारी जानवर भी शामिल हैं।

इस राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जून से अक्टूबर तक है लेकिन यह अभ्यारण्य पूरे साल खुला रहता है। इस उद्यान की एंट्री फ़ीस भारतियों की लिए 80 रूपये और विदेशी यात्रियों के लिए 470 रूपये है। साथ ही यदि जीप से इस अभ्यारण्य का आनंद उठाना चाहते हैं तो 6 लोगों के लिए इस जीप की यात्रा 2650 रूपये है। 

4. शाही महल सिलीसर लेक पैलेस - Royal Palace, Siliserh Lake Palace in hindi :

शाही भव्यता और सुंदर वास्तुकला का एक सच्चा नमूना और आदर्श कहलाने वाला सिलीसर लेक पैलेस जिसे 1892 में बनाया गया था। अलवर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा यह पैलेस एक शिकार लॉज के रूप में डिजाइन किया गया था।

20 एकड़ के अद्भुत क्षेत्र में फैले इस पैलेस को अब एक 5 स्टार लग्जरी होटल में तब्दील कर दिया गया है। इस पैलेस की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से सुइट्स, एक स्विमिंग पूल, एक स्मारक दुकान आदि शामिल हैं।  

इस पैलेस की सांस्कृतिक, विस्मयकारी कलाकारी और यहाँ की शानदार मेहमान-नवाजी और शानों शौख्त से किये गये आतिथ्य की पेशकश पर्यटकों को विस्मृत कर देती है। साथ ही इस पैलेस से शाम के सन सेट, वन्य जीवों, और घने जंगल के नज़ारे आपको रोमांचित कर सकते हैं। 

5. गणेश और लक्ष्मी नारायण मंदिर के लिए प्रसिद्ध, मोती डूंगरी - Famous for the Ganesh and Lakshmi Narayan Temple, Moti Dungri in hindi :

मोती डूंगरी पैलेस/मंदिर जो अलवर में मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थित है। मोती की आकार सी दिखने वाली इस पहाड़ी पर 1882 में महाराजा मंगल सिंह द्वारा यह मंदिर बनवाया गया था जो अलवर के शाही परिवार का निवास स्थान भी हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि राजा मंगल सिंह बैलगाड़ी से गणेश मूर्ति लेकर निकले थे और जिस स्थान पर बैलगाड़ी रुकी उसी जगह उन्होंने यह मोती डूंगरी मंदिर बनवा दिया। 

इस पैलेस के भीतर, एक लक्ष्मीनारायण मंदिर, एक गणेश मंदिर, संकट मोचन वीर हनुमान मंदिर और सैय्यद दरबार एक ही परिसर में बने हुए हैं। जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। जहाँ सुबह में भजन और शाम को कव्वाली खेलली जाती है। 

कपूर, घी और लोबान की खुशबू का एक साथ हवा को मनमोहक करती है। तिरंगे के साथ भगवा और हरे रंग के झंडे एक साथ फहराए जाते हैं। जहाँ जाना आपको भी एक अनोखा अनुभव तो देगा ही साथ ही इतना रोमांचित और उत्साह से भर देगा कि इस नजारे से आँखे न हटा पायंगे। अलवर की यात्रा में इस स्थान महत्व सबसे महत्वपूर्ण इन्हीं विशेषताओं के कारण है जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।    

6.महादेव को समर्पित नीलकंठ महादेव मंदिर - Dedicated to Mahadev, Neelkanth Mahadev Temple in hindi :

6 वीं से 9वीं शताब्दी के बीच बना यह महादेव का नीलकंठ मंदिर का निर्माण महाराजा धिराज मथानदेव द्वारा किया गया था। यह मंदिर अलवर से 65 कि.मी. दूर राजोरगढ़ में स्थित है। जहाँ शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। 

मंदिर में विराजमान शिवलिंग 4 फीट ऊँची है जो नीलम पत्थर की बनी हुई है। साथ ही मंदिर का गुंबद पूरी तरह से पत्थर का बना हुआ है। साथ ही मंदिर की दीवारों और गुंबद पर कई तरह के देवी-देवताओं के प्राचीन चित्र उकेरे हुए मिलते हैं। साथ ही यहाँ 4 स्तम्भों का एक रंग मंडप खड़ा है। जो एक अद्भुत कला है।  

साथ ही यहाँ पारानगर नगर के अवशेष भी मिलते हैं जहाँ महावीर बुद्ध की 27 फीट ऊँची प्रतिमा भी देखने को मिलती है। आस्था और ऐतिहासिक विरासत का यह स्थान पर्यटकों का विशेष स्थान रहा है। जहाँ आप अद्भुत कलाकृति के साथ ऐतिहासिक धरोहर के चिह्न ही देख सकते हैं। 

7. अलवर का बेहतरीन म्यूजियम - Alwar museum in hindi :

अगर आपको इतिहास, कलाकृति और सांस्कृतिक परंपरा में रुचि है तो आपको अलवर के फेमस म्यूजियम देखने जरूर जाना चाहिए। अलवर के इस संग्रहालय में राजस्थान के इतिहास और विशेष रूप से अलवर के इतिहास की कलाकृतियों की अद्भुत श्रृंखला है। यहां आप 18वीं और 19वीं सदी की मुगल और राजपूताना काल की स्थापत्य कला और खूबसूरत पेटिंग्स का कलेक्शन देख सकती हैं। संग्रहालय पूरी तरह से रॉयल परिवार की अद्भुत चीजों से भरा हुआ है जिसमें 234 मूर्तियाँ, 11 शिलालेख, 9702 सिक्के, 35 धातु की वस्तुएँ, 2565 पेंटिंग और बेहतरीन पांडुलिपियाँ, 2270 हथियार, स्थानीय कला, शिल्प और संगीत वाद्ययंत्र के 1809 ऑब्जेक्ट शामिल हैं। यदि आप सब भी इस ऐतिहासिक म्यूजियम को देखकर अनोखा अनुभव करना चाहते हैं तो यह म्यूजियम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है और आप दिनभर यहां की खूबसूरत विरासत को इत्मीनान के साथ देख सकती हैं। तो अलवर की यात्रा में यह म्यूजियम एक महत्वपूर्ण स्थान है।

8. सिटी पैलेस, अलवर - Famous City Palace, Alwar in hindi :

अरावली पहाड़ियों की तलहटी में स्थित सिटी पैलेस या विनय विलास कहलाना वाला यह पैलेस 17वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था। मुग़ल और राजस्थानी शिल्पकला के मिश्रण से बना यह पैलेस राजस्थानी शान का प्रतीक है जिसका निर्माण 1793 में राजा बख्तावर सिंह ने करवाया था। यहाँ की वास्तुकला आपको इस कदर चमत्कृत कर देती है कि आप इस शान से रोमांचित हो उठते हैं।

सिटी पैलेस में 15 ढालू वाले टावर था 51 छोटे टावरों के साथ एक सुन्दर झील भी है। यहाँ एक बड़ा हॉल भी है जहाँ शाही तस्वीरों की छंटा दिखाई देती है। साथ ही पैलेस में 6 द्वार हैं जिसके चारों तरफ भगवान कृष्ण का मंदिर है। मतलब आप किसी भी दरवाजे से गुजरों आप भगवान् कृष्ण तक ही पहुँचोगे। साथ ही इस पैलेस में घूमने के लिए 2 हाथी गाड़ी पैलेस के मुख्य द्वार पर ही स्थित हैं जिसमें 6 लोग बैठ सकते हैं। साथ ही पैलेस में एक संग्रहालय भी है जहाँ मुगल और राजस्थानी विरासत के अवशेष मौजूद हैं। आकर्षक ऐतिहासिक अलवर स्कूल की लघु पेंटिंग हैं, जो प्रतिष्ठित संग्रहालय की दीवारों को सजाती है। यहाँ हाथी दांत, प्राचीन हथियार, और कई प्रसिद्ध और समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर के प्रतीक संग्रहित हैं। यदि सांस्कृतिक विरासत को देखने का आनंद उठाना चाहते हैं तो इस म्यूजियम को ज़रूर देखने पधारें।     

  

9. वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध विजय मंदिर महल - Famous for its architecture, Vijay Mandir Palace in hindi :

अलवर की सुंदरता का प्रतीक कहा जाने वाला यह सुन्दर विजय मंदिर महल 1918 ई. में राजा जयसिंह द्वारा निर्मित किया गया था। अपनी ऐतिहासिक कला, शिल्प और सौंदर्य के चलते यह भव्य मंदिर महल अपनी शानों शौख्त और अद्भुत नजारों के लिए अलवर का मुख्य पर्यटक स्थल है।

ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर महल एक जहाज के जैसा बनाया गया है। विजय मंदिर पैलेस वास्तव में शहर के सबसे शानदार और सुंदर महलों में से एक है। झील के किनारे सुरम्य उद्यानों से घिरा हुआ यह महल 105 भव्य कमरों से सुसज्जित है, जिसका हर एक कमरा अत्यंत सुंदर हैं। 

राजस्थान में राजघरानों की भव्य जीवन शैली का प्रतिनिधित्व करता यह विजय मंदिर महल एक अनोखी आभा लिए हुए है। जिसे देखने हर साल हजारों पर्यटक यहा आते हैं, यदि कभी आप भी अलवर आए तो यहाँ आना न भूलें।  

10. राजपूत वास्तुकला का चित्रण मूसी महारानी की छतरी - Pride and honor in Rajput architecture, Musi Maharani ki Chhatri in hindi :

राजपूतों की शान और विरासत का प्रतीक माने जाने वाली मूसी महारानी की छतरी का निर्माण राजा विनय सिंह ने अलवर के शासक, महाराजा बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी की स्मृति में बनवाया था। इस प्रसिद्ध स्मारक में राज और रानी की कब्र है जो बलुओं पत्थरों की छतरी से ढँकी हुई है।

राजपूतों में शान और ओदे का प्रतीक माने जाने वाली छतरी राजपूताना सम्मान का प्रतीक है जो राजा और रानी के सम्मान के रूप में उनकी कब्र के ऊपर बनाई गई है। 2 मंजिल की यह स्मारक सूर्यास्त के दौरान बहुत अद्भुत लगती है। इसके फर्श को सुंदर संगमरमर की तराशी गई नक्काशी से बनाया गया है। साथ ही मंदिर की अंदरूनी दीवारों पर कई पौराणिक और परंपरागत भित्ति चित्रों को तराशा गया है।

अरावली की पहाड़ियों का मनोरम दृश्य इस स्मारक की शोभा को और बढ़ा देता है। इस स्मारक के आस-पास सुन्दर मोर नाचते हुए पाए जाते हैं। जब मौसम सुहावना हो और शाम का वक्त हो उस समय इस जगह का दृश्य देखने लायक लगता है। इस स्मारक की अद्भुत बारीक नक्काशी और इसकी सुन्दरता, भव्यता ही पर्यटकों को यहाँ खींच लाती है। 

11. पिकनिक स्थल कंपनी बाग - Picnic spot, Company Bagh in hindi :

अलवर शहर के केंद्र में स्थित कंपनी बाग एक सुंदर और सौंदर्यपूर्ण उद्यान है, जो सिटी पैलेस से सटा हुआ है जो महाराजा शिव दान सिंह द्वारा 1868 में निर्मित किया गया था। इस सुंदर बाग़ को शानदार और अच्छी तरह छंटनी करने के बाद बनाया गया है।

इस बाग़ के पास सेंट एन्ड्रयू चर्च भी है जहाँ शाम के समय इस सुन्दर बाजार भी लगता है। जो घूमने के लिहाज से भी बहुत लोकप्रिय स्थान है। इसके अलावा, यार्ड में विशाल गुंबद के साथ 'शिमला' या 'समर हाउस' के रूप में जाना जाने वाला एक छोटा कक्ष भी है इस नाम ऐसा इसलिए रखा गया है क्योंकि यह शहर के तापमान की तुलना में काफ़ी ठंडा रहता है।

अपनी पुरानी विरासत और सुन्दरता के चलते यह बाग़ आम जनता के लिए खुला रहता है, जिस कारण अलवर आने वाले यात्री इस स्थान पर अवश्य आना पसंद करते हैं। यदि आप भी पुराने इतिहास और बागों बहार के शौकीन हैं तो इस स्थान पर आना आपके लिए बहुत रोचक होगा।

    

12. हनुमान जी को समर्पित पांडुपोल - Dedicated to Hanuman ji, Pandu Pol in hindi :

पांडुपोल हनुमान मंदिर लगभग 5000 वर्ष पुराना मंदिर है जिसका संबंध महाभारत कथा है। शनिवार और मंगलवार के दिन यहाँ हनुमान भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है और साथ ही पर्यटकों का केंद्र भी रहता है। यह मंदिर अलवर के राष्ट्रीय उद्यान में बीच स्थित है। अलवर की पहाड़ियों और मैदान के बीच यह मंदिर अपनी अनोखी आभा लिये हुए है।

ऐसा माना जाता है कि महाभारत के दौरान गादधारी भीम ने जब एक पहाड़ी पर गदा मारा तो वहाँ एक दरवाजा निकला जिसे हनुमान मंदिर के रूप में स्थापित किया गया। सस्थ ही कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहाँ भगवान हनुमान ने भीम और परास्त करके बल का अद्भुत ज्ञान इसी स्थान पर दिया था।    

अपनी ऐतिहासिकता और श्रद्धा के अलावा ये मंदिर लंगूर, मकाक और कई प्रकार के पक्षियों के साथ अपने भव्य 35-फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है। अलवर का यह स्थान अनोख और अद्भुत है जहाँ जाना आपको अवश्य नया अनुभव देगा।

अलवर का लोकल स्थानीय भोजन - Famous food of Alvar in hindi :

हाँ तो जी खाने शौकीन लोग तो जहाँ घूमने जायेंगे वहाँ का फेमस खाना तो ज़रूर खाना पसंद करेंगे। लेकिन यदि आप लोग चटपटा-चीखा, मसालेदार खाना पसंद करते हैं तो अलवर के व्यंजन आपके मुँह में पानी लाने के लिए काफी हैं।

यहां के अधिकांश व्यंजन रंग में समृद्ध हैं और सुगंध में भरपूर होते हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाले मसालों में हल्दी, हरी मिर्च, काली मिर्च, जीरे और घी या मक्खन का इस्तेमाल भरपूर किया जाता है। जिससे इनकी रंगत और सुगंध लाजवाब या यूँ कहें आपको उँगलियाँ चाटने पर मजबूर कर देगी ऐसी होती है।

वैसे तो यहाँ के लगभग सारे ही व्यंजन मशहूर हैं लेकिन मिर्ची वाड़ा, चिकन मसाला, दूध लड्डू, झाझरिया, घेवर, इमरती, जलेबी, गाजर का हलवा, लस्सी आदि व्यंजन बहुत फेमस हैं। इसलिए आप जब भी अलवर आयें तो इन डिशीस को ट्राय करना न भूलें।    

अलवर में पर्यटकों के लिए सबसे अच्छा शॉपिंग मार्केट - Alvar ke famous shopping spot in hindi :

अलवर के बाजार राजस्थान की परंपरा, संस्कृति, और विरासत की झाँकी प्रस्तुत करते नजर आते हैं। यहाँ भी आपको रंग-बिरंगी चीजों, कलाकृतियों, हस्तकलाओं के नमूने मिल सकते हैं जो आपके दिल को छू जायेंगे। खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए इन बाजारों का अनुभव अनोखा ही होगा।    

बजाजा बाजार अलवर का सबसे फेमस बाजार है और साथ ही यह भारत का सबसे खरीदारी वाला बाजार माना जाता है। बजाज बाजार एक थोक बाजार है जो मोतियों, रेशम के धागों और जर्दोजी की वस्तुओं की बिक्री के लिए जाना जाता है। 

साथ ही यह बाजार अपने कीमती पत्थरों और कीमती पत्थर के गहनों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की सुंदर सीलर और गोल्ड जूलरी इस शहर की परंपरा लिए हुए जिससे कोई भी इन्हें खरीदने से ख़ुद को रोक नहीं पाता। तो आप जब भी अलवर जाएँ बजाजा बाजार ज़रूर घूमने जाएँ।  

अलवर जाने का सबसे अच्छा समय - Best Time to visit Alwar in hindi :

अलवर राजस्थान का ही एक शहर है जिस कारण ग्रीष्मकाल में वहाँ का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के साथ वास्तव में बहुत गर्म हो सकता है। जिस कारण इस समय घूमना-फिरना आपके लिए उतना सुखद नहीं होगा। लेकिन अक्टूबर से मार्च अपेक्षाकृत अलवर का मौसम काफी सुखद होता है। 

रक्षाबंधन के मौके पर लोग पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं के चलते यहाँ आना पसंद करते हैं और  इस महोत्सव का आनंद भी उठाते हैं। नीला आसमान रंगीन पतंगों से भरा होने के कारण पानी के जीवों के भरा समुद्र दिखाई देता है। इसलिए आप भी यहाँ आए तो जरा मौसम का जाइका लिए बिना न आए क्योंकि आपकी यात्रा में अलवर का मौसम अहम भूमिका निभाता है।  

अलवर कैसे पहुंचे - How to reach Alwar in hindi :

राजस्थान के इस शहर तक आप कैसे पहुँचे ताकि आप सुविधाजनक यात्रा का आनन्द उठा सके इसके लिए आपका रेल, सड़क, और हवाई मार्ग के रास्तों की जानकारी उपयुक्त है।   

सड़क मार्ग के द्वारा अलवर कैसे पहुंचे - how to reach Alwar by road in Hindi in hindi :

आप देश के किसी भी राज्य या शहर के रहते हो लेकिन सभी राज्य और शहर से अलवर जाने के लिए नियमित रूप से बस सुविधाएँ उपलब्ध जो दिन-रात उपलब्ध रहती हैं। यदि आप अपने यातायात से अलवर जाना चाहते हैं तो यह शहर जयपुर से 150 कि.मी. उत्तर में स्थित है। तो आप रास्तों का आनंद उठाते हुए इस सुंदर शहर तक पहुँच सकते हैं।

 हवाई मार्ग से अलवर कैसे पहुँचे - How to reach Alwar by plane in Hindi :

अलवर जाने के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टिव नहीं है, इसलिए पहले आपको जयपुर के हवाई अड्डे जाना होगा और वहाँ से आपको अलवर जाने के लिए सीधी बस या प्राइवेट कैब या टेक्सी भी मिल सकती है, जिससे आप पूरी सुविधा से अलवर पहुँच सकते हैं और अपनी यात्रा का आनंद उठा सकते हैं।  

रेल मार्ग से अलवर कैसे पहुँचे - How to reach Alwar by train in Hindi :

अलवर जंक्शन भारत का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। इसलिए यदि आप अलवर जाना चाहते हैं तो रेल मार्ग वहाँ पहुँचने का सुविधाजनक साधन है। किसी भी देश, राज्य से सीधी रेल अलवर जाने के लिए आपको मिल जायेगी।