हल्दीघाटी के मुख्य पर्यटक स्थल घूमने की जानकारी - Best Tourist Place in Haldighati in Hindi

मेरे प्रिय पाठक आपका प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में | इस लेख में हम आपको बताएंगे हल्दीघाटी के युद्ध इतिहास एवं उससे जुड़े अन्य तत्वों अथवा स्थानों के बारे में। ताकि आप भारत के महान इतिहास के बारे में जान सके इस लेख को पढ़ने से आपको ना केवल आप इतिहास के बारे में जान पायेंगे बल्कि हमारे धार्मिक संस्कृति को भी जान पायेंगे इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस लेख को अंत तक पढ़े।

हल्दीघाटी के मुख्य पर्यटक स्थल  घूमने की जानकारी - Best Tourist Place in Haldighati in Hindi
हल्दीघाटी के मुख्य पर्यटक स्थल  घूमने की जानकारी - Best Tourist Place in Haldighati in Hindi
हल्दीघाटी के मुख्य पर्यटक स्थल  घूमने की जानकारी - Best Tourist Place in Haldighati in Hindi

हल्दीघाटी की एक झलक -

  • हल्दीघाटी राजस्थान के मेवाड़ का एक ऐतिहासिक स्थान है।  यह अरावली पहाड़ों का एक पहाड़ी दर्रा है।  आप इस जगह पर उदयपुर से जा सकते हैं हम इस जगह पर जाते हैं जब हम उदयपुरसे माउंट आबू गए थे।  हल्दीघाटी मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह और अंबर के राजा मान सिंह के बीच लड़ाई के लिए प्रसिद्ध है।

हल्दीघाटी का इतिहास - Haldighati history in hindi:

  • दोस्तो हल्दीघाटी पश्चिमी भारत में राजस्थान के अरावली रेंज में स्थित खमनोर और बागीचा गाँव के बीच एक पहाड़ी दर्रा है जो राजसमंद और पाली जिलों को जोड़ता है। पास उदयपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  माना जाता है कि हल्दीघाटी नाम की उत्पत्ति क्षेत्र की हल्दी के रंग वाली पीली मिट्टी से हुई है।
  • दोस्तो हल्दीघाटी जोकि नीलगिरी पहाड़ी के नजदीक स्थित है एक प्रसिद्ध युद्ध के नाम से जाना जाता है जो युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के मध्य लड़ा गया था।
  • हल्दीघाटी का युद्ध बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य 18 जून 1576 ईस्वी को लड़ा गया था दोनों की ओर से 490 सैनिक मारे गए थे इस युद्ध को लड़ते-लड़ते खमनोर में दोनो सेनाओं  की जितनी भी टुकड़िया थी आमने सामने आ गई और इतना ज्यादा खून बहा कि मैदान को रक्त तलाई भी कहा गया इस युद्ध में राजाराम सिंह तवर जोकि महाराणा प्रताप की बहन के ससुर थे और उनके तीन पुत्रों ने इस युद्ध में बलिदान दिया। 
  • रामदास राठौर तीन घंटे की लड़ाई के बाद मैदान पर मारे गए लोगों में से एक थे। राम साह तोवर के तीन बेटे- सलिवाहन, बहन, और प्रताप तोवर – उनके पिता की मृत्यु में शामिल हो गए। मेवाड़ी सेना के लगभग 1,600 सैनिको की म्रत्यु हो गई, जबकि मुगल सेना के करीब 150 सिपाही मारे गए और 350 घायल हुए। दोनों तरफ राजपूत सैनिक थे। 
  • उग्र संघर्ष में एक स्तर पर, बदायुनी ने आसफ खान से पूछा कि मैत्रीपूर्ण और दुश्मन राजपूतों के बीच अंतर कैसे किया जाए। आसफ खान ने जवाब दिया, “जिसको भी आप पसंद करते हैं, जिस तरफ भी वे मारे जा सकते हैं, उसे गोली मार दें, यह इस्लाम के लिए एक लाभ होगा। इस युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप जंगल में चले गए थे। और यह एक ऐसा युद्ध था जिसमें ना तो यह पता था कि हारा कौन था और ना ही यह पता था कि जीता कौन था और यह युद्ध ऐसे ही समाप्त हो गया और इसे ऐतिहासिक घटना में एक महत्वपूर्ण युद्ध के नाम से जाना जाता है।

हल्दीघाटी के प्रमुख पर्यटक स्थल-

1. हल्दीघाटी की श्री कृष्ण को समर्पित श्रीनाथजी मंदिर - Shrinathji Temple Haldighati in Hindi :

  • मेरे प्यारे पाठको श्रीनाथजी का यह प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित है ऐसा कहा जाता है कि इस जगह का नाम नाथद्वारा मुगल शासन के दौरान पड़ा जब औरंगजेब भगवान श्री कृष्ण के मंदिर को तोड़ना चाहता था तो राजा जयसिंह ने मूर्ति को बचाने के लिए उस मूर्ति को राजस्थान में मंगवा लिया और वहां पर तंबू गाड़ दिया गया और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को स्थापित कर दिया गया नाथद्वारा का अर्थ है नाथ यानी कि भगवान और द्वारा यानी कि द्वार इसका साक्षात अर्थ भगवान का द्वार है मुगल सेना से बचाने के लिए राजा जयसिंह ने दो हजार सैनिकों को भगवान श्री कृष्ण की सुरक्षा में रखा। नाथद्वारा में भगवान श्री कृष्ण के काफी मंदिर स्थित है पर लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मंदिर श्री नाथ मंदिर है।
  • यह वल्लभ संप्रदाय का प्रधान पीठ है। भारत के प्रमुख वैष्णव पीठों मैं इसकी गणना की जाती है। यहाँ के आचार्य श्री वल्लभाचार्य जी के वंशजों मे तिलकायित माने जाते है। यह मूर्ति गोवर्धन पर्वत पर व्रज मे थी। श्रीनाथजी का मंदिर बहुत बडा है, परंतु मंदिर मैं किसी विशिष्ट स्थापत्य कला शैली के दर्शन नही होते। वल्लभ संप्रदाय के लोग अपने मंदिर को नांदरायजी का घर मानते है। मंदिर पर कोई शिखर नही हैं। मंदिर बहुत ही साधारण तरीके से बना हुआ है। जहाँ श्रीनाथजी की की मूर्ति सथापित है, वहां की छत भी साधारण खपरैलो से बनी हुई हैं।

2. हल्दीघाटी की ऐतिहासिक स्थल, द्वारकाधीश - Historical Place Dwarkadheesh Temple Haldighati in Hindi :

  • मेरे प्यारे पाठको द्वारकाधीश का यह है मंदिर हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो कि चार धामो में से एक है और इस मंदिर की महानता अथवा महत्वता अपने आप में ही अनूठी एवं अनोखी है ऐसा कहा जाता है कि जब श्री कृष्ण मथुरा को छोड़कर गुजरात के समुद्री तट स्थित नगर कुशस्थली चले गए थे। 
  • वहां पर उन्होंने द्वारिका नामक एक भव्य नगर बबसाया हिंदुओं का मानना है कि मूल मंदिर का निर्माण कृष्ण के आवासीय महल के ऊपर, कृष्ण के महान पुत्र वज्रनाभ द्वारा किया गया था।यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्री द्वारकाधीश कहा जाता है। वर्तमान में द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है।

3. युद्धभूमि रक्त तलाई हल्दीघाटी - Rakht-Talai Haldighati in Hindi :

  • दोस्तो हल्दीघाटी के युद्ध में केवल आधे घंटे में 490 सैनिक मारे गए थे और युद्ध में लगभग 18 हज़ार सैनिक मारे गए। इतना रक्त बहा कि इस जगह का नाम ही रक्त तलाई पड़ गया। महाराणा प्रताप के खिलाफ  इस युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व सेनापति मानसिंह कर रहे थे।
  • जो हाथी पर सवार थे। महाराणा अपने वीर घोड़े चेतक पर सवार होकर रणभूमि में आए थे जो बिजली की तरह दौड़ता था और पल भर में एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाता था। चेतक पर सवार महाराणा प्रताप एक के बाद एक दुश्मनों का सफाया करते हुए सेनापति मानसिंह के हाथी के सामने पहुंच गए थे। 
  • उस हाथी की सूंड़ में तलवार बंधी थी। महाराणा ने चेतक को एड़ लगाई और वो सीधा मानसिंह के हाथी के मस्तक पर चढ़ गया। लेकिन मानसिंह हौदे में छिप गया और राणा के वार से महावत मारा गया। 

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4. ऐतिहासिक एवं प्राचीन हिन्दू मन्दिर हल्दीघाटी - Charbhuja Temple Haldighati in Hindi : 

  • आपको पता है चारभुजा भारत के राजस्थान राज्य में राजसमंद जिले की कुंभलगढ़ तहसील के गढ़बोर गाँव में भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है।चारभुजानाथ जी को मेवाड़ के चार धाम में से एक माना जाता है प्रति वर्ष लाखो दर्शनार्थी यहाँ दर्शन हेतु आते है|
  • राजसमन्द जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दुरी पर और राजसमन्द से ब्यावर जाने वाले मार्ग पर मध्य स्थित गोमती चोराहे से 10 किलोमीटर पश्चिम पर स्थित है चारभुजानाथ जी का मंदिर | पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने उद्धव को हिमालय में तपस्या कर सद्गति प्राप्त करने का आदेश देते हुए स्वयं गौलोक जाने की इच्छा जाहिर की, तब उद्धव ने कहाकि मेरा तो उद्धार हो जाएगा पंरतु आपके परमभक्त पांडव व सुदामा तो आपके गौलोक जाने की खबर सुनकर प्राण त्याग देंगे। 

5. खूबसूरत संग्रहालय, महाराणा प्रताप स्मारक हल्दीघाटी - Maharana Pratap Memorial Haldighati in Hindi :

  • आपको यह जानकर काफी गर्व होगा की महाराणा प्रताप स्मारक मोती मगरी या पर्ल हिल की चोटी पर फतेह सागर झील के किनारे पर स्थित है। यह महान भारतीय लड़ाकू महाराणा प्रताप और उनके वफादार घोड़े चेतक को समर्पित है।
  • स्मारक में यात्री घोड़े पर महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा को देख सकते हैं यात्री पहाड़ी के पास के क्षेत्र में स्थित जापानी रॉक गार्डन की यात्रा भी कर सकते हैं। उदयपुर के किलों में से एक के अवशेष को भी यहां देखा ऐसा कहा जाता है कि चेतक महाराणा का बेहद वफादार घोड़ा था और अपनी अंतिम सांस तक उनके साथ खड़ा रहा था।
  • स्मारक में कुछ महान पेंटिंग भी हैं, जो राजघरानों के शौर्य और महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी घटनाओं को दर्शाती हैं। स्मारक से पर्यटकों को पहाड़ी की चोटी से उदयपुर शहर के कुछ बेहतरीन दृश्य देखने का मौका मिलता है।

6. विश्व की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा हल्दीघाटी - Statue of Lord Shiva in Haldighati in Hindi-

  • दोस्तो राजस्थान के नाथद्वारा में भगवान शिव की अद्भुत मूर्ति बनने जा रही है। यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा होग यह प्रतिमा 351 फुट की होगी और इसके अगले वर्ष मार्च तक बन जाने की संभावना है। उदयपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर नाथद्वारा के गणेश टेकरी में सीमेंट कंकरीट से बनी विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का 85 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है।
  • इस परियोजना के प्रभारी राजेश मेहता ने बताया कि 351 फुट ऊंची सीमेंट कंकरीट से निर्मित शिव प्रतिमा दुनिया की चौथे नंबर की और भारत में हाल ही में गुजरात में स्थापित सरदार पटेल की प्रतिमा के बाद दूसरे नंबर की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी।

7. लोकप्रिय, श्री खार्च भंडार हल्दीघाटी - Shree Kharch Bhandar Haldighati in Hindi :

  • मेरे प्यारे पाठको ज्यादातर लोग नाथद्वारा आने वाले लोग इस मंदिर से या तो अनजान होते हैं या फिर फिसल जाते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान के रथ को आगे बढ़ने से रोका गया था और जब तक नया मंदिर नहीं पढ़ा गया था, भगवान यहाँ निवास करते थे। 
  • इसके अलावा यह घी और कुओं में संग्रहीत अन्य वस्तुओं के लिए भंडारण स्थान है। मंदिर में हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की गुरु पूर्णिमा को श्रीनाथजी मंदिर के खर्च भंडार में प्राचीन परंपरानुसार विभिन्न 27 धानों का तौल कर अगले वर्ष में होने वाली पैदावार, व्यापार के लिए पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे आषाढ़ी तौलना कहते है।

8. विशालकाय सैंडल हल्दीघाटी - VishalKay Sandal Haldighati in Hindi :

  • वैसे यह विशालकाय सैंडल एक मूर्तिकला है और मिराज समूह द्वारा नाथद्वारा में सौंदर्यीकरण परियोजना के रूप में बनाया गया है। निश्चित नहीं कि इसे जाइंट सैंडल क्यों कहा जाता है और यह एक जैसा नहीं दिखता है। कुछ लोग कहते हैं कि यह एक शैली है । यह विशाल सैंडल मॉडल बस स्टैंड नाथद्वारा के नजदीक स्थित है, जगह गन्दा और भीड़दार है। मैं किसी भी व्यक्ति की सराहना करता हूं जो मुझे इस प्राणी को बनाने के पीछे कारण बताएगा। मेरी जानकारी के अनुसार न तो नथद्वारा और न ही राजसमंद के पास सैंडल या जूते के साथ कोई संबंध है, फिर उन्होंने इस विशाल प्राणी को यहां क्यों बनाया, हो सकता है कि वे कुछ और करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आर्किटेक्चर त्रुटि या धन की कमी ने उन्हें यह करने के लिए मजबूर किया।

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घाटी की युद्ध - Battle of Haldighati in Hindi :

  • हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धारियों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लडा गया था जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप को मुख्य रूप से भील जनजाति का सहयोग मिला ।
  • 1568 में चित्तौड़गढ़ की विकट घेराबंदी ने मेवाड़ की उपजाऊ पूर्वी बेल्ट को मुगलों को दे दिया था। हालाँकि, बाकी जंगल और पहाड़ी राज्य अभी भी राणा के नियंत्रण में थे। मेवाड़ के माध्यम से अकबर गुजरात के लिए एक स्थिर मार्ग हासिल करने पर आमादा था; जब 1572 में प्रताप सिंह को राजा (राणा) का ताज पहनाया गया, तो अकबर ने कई दूतों को भेजा जो महाराणा प्रताप को इस क्षेत्र के कई अन्य राजपूत नेताओं की तरह एक जागीरदार बना दिया। जब महाराणा प्रताप नेअकबर को व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत करने से इनकार कर दिया, तो युद्ध अपरिहार्य हो गया। लड़ाई का स्थल राजस्थान के गोगुन्दा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी दर्रा था।

हल्दीघाटी कैसे पहुंचे - How To Reach Haldighati :

हल्दीघाटी पहुंचने के लिए अगर हम कार से जाना चाहते है तो हल्दीघाटी तक पहुंचने के लिए दिल्ली से 11 घंटे के आस पास का समय लगेगा वैसे हल्दीघाटी तक हम कार बाइक ट्रेन अथवा हवाई जहाज से जा सकते है। दिल्ली से नाथद्वारा की दूरी एक सड़क यात्रा के लिए आदर्श है, जिसे सबसे अच्छी तरह से चालित कैब के साथ देखा जाता है।  आप अपनी सुविधानुसार कभी भी, कहीं भी रुक सकते हैं और अपने छोटे ब्रेक का आनंद ले सकते हैं। सवारी की उपयोगकर्ता के अनुकूल वेबसाइट के साथ, आप कुछ सरल चरणों में ऑनलाइन टैक्सी बुक कर सकते हैं और एक परेशानी मुक्त कार किराए पर लेने की सेवा का लाभ उठा सकते हैं।  एक टैक्सी किराए पर लेना यह सुनिश्चित करता है कि नाथद्वारा दूरी पर दिल्ली को कम समय में कवर किया जाएगा। सवारी की चाल से चलने वाली कारों के साथ, आपको ईंधन भरने, खतरनाक इलाके या कुछ pesky ट्रक के बारे में परेशान करने की ज़रूरत नहीं है जो आपको गलत साइड से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है।  अपनी सीटों को पीछे धकेलें, खिड़की को रोल करें और सुंदर दृश्य का आनंद लें, जबकि दिल्ली से नाथद्वारा की दूरी कार द्वारा कवर की जा सकती है।

सड़क के द्वारा हल्दीघाटी कैसे पहुंचे - How to Reach Haldighati by Road in hindi :

सड़क के द्वारा हल्दीघाटी जाने के लिए हम कार, बाइक, प्राइवेट बस इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते है इन यातायात के साधनों के हिसाब से वहा पहुंचने में समय लगेगा अगर हम सड़क के मार्ग से हल्दीघाटी जल्दी पहुंचना चाहते है तो हम जल्दी पहुंच सकते है। हल्दीघाटी उदयपुर के नाथद्वारा जिले के काफी करीब स्थित है, जो आसानी से पहुँचा जा सकता है। आप स्थानीय परिवहन जैसे ऑटोरिक्शा, टैक्सी, टैक्सी या सरकार द्वारा संचालित बसों का लाभ उठा सकते हैं।  आसपास के राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश के परिवहन निगम उदयपुर के लिए डीलक्स और गैर-डीलक्स दोनों बसें चलाते हैं, जो उदयपुर आने के लिए एक सुरक्षित और किफायती विकल्प है। उदयपुर एक ऐतिहासिक शहर है, जो राजस्थान के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है।  पर्यटक इस क्षेत्र की समृद्ध और विविध संस्कृति से रूबरू होने के लिए विभिन्न स्थानों से हल्दीघाटी, उदयपुर जाते हैं।  साल के सभी समय के दौरान पर्यटकों से घिरा, यह उदयपुर में यात्रा करने के लिए थोड़ा भ्रमित है।

ट्रेन के द्वारा हल्दीघाटी कैसे पहुंचे - How to reach Haldighati by train in Hindi :

मल्हारगढ़ से सवाई माधोपुर के लिए प्रतिदिन लगभग 1 ट्रेनें चलती हैं। निम्नलिखित ट्रेनें मल्हारगढ़ से सवाई माधोपुर के लिए शुरू होती हैं। HALDIGHATI PASS (59811) आदि मल्हारगढ़ से सवाई माधोपुर तक की पहली ट्रेन HALDIGHATI PASS (59811) है, जो लगभग 19:59 बजे चलती है।मल्हारगढ़ से सवाई माधोपुर के बीच ट्रेन द्वारा यात्रा समय 11h 41m है। उदयपुर रेलवे स्टेशन उदयपुर के हल्दीघाटी क्षेत्र से लगभग 146 किलोमीटर दूर है।  यह रेलवे स्टेशन और उदयपुर से लगभग 3 घंटे की यात्रा है।  उदयपुर रेलवे स्टेशन दिल्ली, जोधपुर, चेन्नई, आगरा, मुंबई, बीकानेर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

फ्लाइट के द्वारा हल्दीघाटी कैसे पहुंचे - How to reach Haldighati by Flight in Hindi :

महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर का एकमात्र हवाई अड्डा है जो हल्दीघाटी से 50 किमी की दूरी पर पाया जाता है।  आप जयपुर, जोधपुर, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और अहमदाबाद जैसे विभिन्न शहरों से होकर आने वाली नियमित घरेलू उड़ानों का लाभ उठा सकते हैं।  एक बार डिबोर्ड करने के बाद, आप या तो सीधी बस ले सकते हैं या कुछ ही समय में हल्दीघाटी पहुँचने के लिए एक निजी टैक्सी (जो अत्यधिक अनुशंसित है) ले सकते हैं।

हल्दीघाटी जाने का सबसे अच्छा समय - Best time to visit Haldighati in Hindi :

दोस्तो हल्दीघाटी घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के बीच का महीना है।  इस समय के दौरान, आप सूरज की असहनीय गर्मी से बच सकते हैं।  जुलाई से सितंबर अंत तक के महीने भी अनुकूल होते हैं क्योंकि बरसात का मौसम यहां एक उद्धारकर्ता का काम करता है।