खजुराहो मंदिर की संपूर्ण जानकारी तथा उससे जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य - All Information Khajuraho Temple in Hindi

मेरे प्रिय पाठक आपका प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में इस लेख में हम खजुराहो मंदिर की संपूर्ण जानकारी देंगे तथा उससे जुड़े हुए कुछ ऐतिहासिक तथ्य के बारे में आपको बताएंगे अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें |

खजुराहो मंदिर की संपूर्ण जानकारी तथा उससे जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य - All Information Khajuraho Temple in Hindi

खजुराहो मंदिर की एक झलक - About Khajuraho Temple in Hindi:

  • खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश में स्थित प्रमुख शहर है।
  • जो अपने प्राचीन और मध्यकालीन काल के लिए फेमस है ।
  • मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो का इतिहास काफी पुराना है। 
  • खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योंकि यहां खजूर के पेड़ों का विशाल बगीचा था। 
  • खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। 
  • इब्नबतूता ने इस स्थान को कजारा कहा है, तो चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी भाषा में इसे ‘चि: चि: तौ’ लिखा है। 
  • अलबरूनी ने इसे ‘जेजाहुति’ बताया है, जबकि संस्कृत में यह ‘जेजाक भुक्ति’ बोला जाता रहा है।
  • चंद बरदाई की कविताओं में इसे ‘खजूरपुर’ कहा गया तथा एक समय इसे ‘खजूरवाहक’ नाम से भी जाना गया। 
  • लोगों का मानना था कि इस समय नगर द्वार पर लगे दो खजूर वृक्षों के कारण यह नाम पड़ा होगा, जो कालांतर में खजुराहो कहलाने लगा।

खजुराहो मंदिर का इतिहास - Khajurao Temple history in Hindi :

  • खजुराहो में वह सभी मूर्तियां अंकित की गई है जो प्राचीन समय में मानव बिना किसी डर से  उन्मुक्त होकर करता था।
  • जिसे ना तो ईश्वर का डर था और ना ही धर्म का।
  • रखरखाव के अभाव के कारण यहां उपस्थित कुछ मूर्तियां नष्ट हो रही है और कुछ चोरी।
  • अधिकतर धर्म में  सेक्स का तिरस्कार किया है जिसके चलते इसे अनैतिक माना गया है।
  • सेक्स न तो रहस्यपूर्ण है और न ही पशुवृत्ति। 
  • सेक्स न तो पाप से जुड़ा है और न ही पुण्य से। यह एक सामान्य कृत्य है लेकिन इस पर प्रतिबंध के कारण यह समाज के केंद्र में आ गया है। 
  • पशुओं में सेक्स प्रवृत्ति सहज और सामान्य होती है जबकि मानव ने इसे सिर पर चढ़ा रखा है। 
  • मांस, मदिरा और मैथुन में कोई दोष नहीं है, दोष है आदमी की प्रवृत्ति और अतृप्ति में। कामसुख एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन मनुष्य ने उसे अस्वाभाविक बना दिया है।
  • खजुराहो मंदिर की मूर्ति में आकर्षण बात क्या है कि काम कला के आसन में दर्शाई गई मूर्तियों के चेहरे पर असीमाआनंद प्रतीत होता है।
  • ये मंदिर और इनका मूर्तिशिल्प भारतीय स्थापत्य और कला की अमूल्य धरोहर हैं। इन मंदिरों की इस भव्यता, सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए ही इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया है
  • खजुराहों में वे सभी मैथुनी मूर्तियां अंकित की गई हैं, जो प्राचीनकाल का मानव उन्मुक्त होकर करता था जिसे न तो ईश्वर का और न ही धर्मों की नैतिकता का डर था। 
  • हालांकि इसका मूर्तिशिल्प लक्ष्मण, शिव और पार्वती को समर्पित मंदिरों का अंग है इसलिए इनके धार्मिक महत्व से इंकार नहीं किया जा सक।

खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया - Who Built by Khajuraho Temple in Hindi :

  • चंदेल वंश के राजपूत शासकों द्वारा खजुराहो मंदिर का निर्माण कार्य किया गया।
  • जो दसवीं से तेरहवीं शताब्दी के मध्य भारत पर शासन किए थे।
  • इस मंदिर को बनाने में 100 साल से भी अधिक समय लगा था।
  • और यह माना जाता है कि प्रत्येक चंदेल वंश के शासक अपने जीवन काल में एक मंदिर का निर्माण अवश्य कर आए थे।
  • चंद्र बर्मन खजुराहो और चंदेल वंश के संस्थापक थे।
  • चंद्र बर्मन मध्यकाल में शासन करने वाले गुज्जर राजा थे।
  • वे अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे।
  • इंही चंदेल राजाओं ने 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं बीच खजुराहो के मंदिरों को बनवाया था।
  • मंदिरों का निर्माण करवाने के बाद चंदेल शासकों ने महोबा को अपनी राजधानी बना लिया। 
  • इसके बाद भी खजुराहो आकर्षण का केंद्र बना रहा।

खजुराहो में कितने मंदिर हैं - How Many Temples Are There in Khajuraho in Hindi:

  • ऐसी मान्यता है कि 12 वीं शताब्दी के अंत होने तक खजुराहो में यहां 85 मंदिर थे। 
  • वर्तमान समय में यहां 25 मंदिर हैं और यह 20 फीट में फैले हुए हैं

खजुराहो मंदिर का रहस्य - interesting Facts about Khajuraho Temple in Hindi:

खजुराहो के मंदिरों के बनाने के अलग-अलग रहस्य बताए जाते हैं।

  • एक मत है कि ये मूर्तियां यहां अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के सिद्धांत का हिस्सा हैं। इस विषय में यह भी कहा जाता है कि ये प्रतिमाएं भक्तों के संयम की परीक्षा का माध्यम हैं। 
  • मोक्ष के कई मार्गों में से एक है काम। सनातन हिन्दू धर्म ने जिंदगी को 4 पुरुषार्थों के हवाले किया है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। 
  • एक-एक सीढ़ी और एक-एक सफलता और इन चारों पुरुषार्थों का समन्वय है खजुराहो के मंदिरों में।
  • मंदिर निर्माण के कारणों में एक तर्क यह भी दिया जाता है कि उक्त काल में बौद्ध धर्म के प्रभाव के चलते गृहस्थ धर्म से विमुख होकर अधिकतर युवा ब्रह्मचर्य और सन्यास की ओर अग्रसर हो रहे थे। उन्हें पुन: गृहस्थ धर्म के प्रति आसक्त करने के लिए ही देशभर में इस तरह के मंदिर बनाए गए और उनके माध्यम से यह दर्शाया गया की गृहस्थ रहकर भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
  • कहा जाता है कि चंदेल राजाओं के काल में इस क्षेत्र में तांत्रिक समुदाय की वाममार्गी शाखा का वर्चस्व था, जो योग तथा भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे। 
  • ये मूर्तियां उनके क्रिया-कलापों की ही देन हैं। 
  • वात्स्यायन के कामसूत्र का आधार भी प्राचीन कामशास्त्र और तंत्रसूत्र है। 
  • शास्त्रों के अनुसार संभोग भी मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन हो सकता है, लेकिन यह बात सिर्फ उन लोगों पर लागू होती है, जो सच में ही मुमुक्षु हैं।
  • बहरहाल, स्थापत्य की इस विधा के मूल में कारण और औचित्य चाहे कुछ भी रहा हो, यह तो निश्चित है कि उस काल की संस्कृति में ऐसी कला का भी महत्वपूर्ण स्थान था।
  • खजुराहो के मंदिर के निर्माण के संबंध में बुंदेलखंड में एक जनश्रुति प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार राजपुरोहित हेमराज की पुत्री हेमवती संध्या की बेला में सरोवर में स्नान करने पहुंची। उस दौरान आकाश में विचरते चंद्रदेव ने जब स्नान करती अति सुंदर और नवयौवना से भीगी हुई हेमवती को देखा तो वे उस पर आसक्त हुए बगैर नहीं रह पाए।
  • उसी पल वे रूपसी हेमवती के समक्ष प्रकट हुए और उससे प्रणय निवेदन किया। कहते हैं कि उनके मधुर संयोग से जो पुत्र उत्पन्न हुआ उसने ही बड़े होकर चंदेल वंश की स्थापना की। समाज के भय से हेमवती ने उस बालक को वन में करणावती नदी के तट पर पाला और उसका नाम चंद्रवर्मन रखा।

खजुराहो मंदिर की मूर्तियां - Sculpture of khajurao Temple in Hindi:

  • मंदिर की दीवारों पर मूर्तियों को पुरुष और महिलाओं के तौर पर भगवान शिव जी और देवी शक्ति के रूप में दिखाया गया है।
  • इन मूर्तियों का आप मंदिर की बाहरी दीवारों पर देख सकते हैं।
  • कामसूत्र नाम से प्रसिद्ध है मंदिर को इन्हीं मूर्तियों की वजह से जाना जाता है।
  • मंदिर के पंद्रह पर्सेंट वास्तुकला इन कामुक मूर्तियों को समर्पित है।
  • विद्वानों के अनुसार कहा जाता है कि यहाँ की ये कामुक मूर्तियां तांत्रिक यौन व्यवहारों को चित्रित करती हैं।
  • हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, काम(यौन सुख) दिव्य है और यह हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है।
  • मंदिर की दीवार पर संभोग करते हुए मूर्तियों को दर्शाया गया है।
  • प्रेम और वासना को बड़े ही उत्कृष्ट तरीके से यहां दर्शाया गया है जो देखने में अति उत्तम प्रतीत होती है।
  • कई मूर्तियों में पुरुषों और महिलाओं को अंतरंग और खुले रूप से व्यस्त होते दिखाया गया है।
  • भारत के मध्य कालीन युग में, युवा बालक ब्रह्मचर्य की विद्या ग्रहण करते थे, जिस समय उन्हें आश्रम में ही रहना होता था जब तक कि वे अपनी व्यस्क अवस्था में न पहुँच जाएँ। ऐसा कहा जाता है कि ये मूर्तियां उन्हें ही वयस्कता के लिए तैयार करने के लिए उकेरे गए थे जिससे कि वे जीवन के इस चक्र को बखूबी जान पाएं।
  • शिल्पशास्त्र जैसे हिंदू ग्रंथों पर आधारित है यह मूर्तियां।
  • यह मूर्तियां प्रियम और कामुकता को बढ़ावा देती है।
  • कुछ मूर्तियों में प्रेम के स्पष्ट कृत्यों को दर्शाया गया।
  • कुछ लोगों के अनुसार या मूर्तियां वहां शासन कर रहे राजा को उत्तेजित करने के लिए बनाया गया था जो एक विलासिता के जीवन जीना पसंद करते थे।
  • जीवन चक्र की कला को सिखाने के लिए इन मूर्तियों का निर्माण किया गया था ताकि वह व्यस्त थी और आगे बढ़ते रहें।
  • महिलाओं की मूर्तियां जिनके अंतरंग और सुडौल शरीर को उकेरा गया है, उनकी सुंदरता में पूर्णता का प्रतीक है।
  • यह सकारात्मक तथा  रचनात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जा को प्रकट करती हैआम तौर पर ऐसी कलाओं को मंदिरों में दर्शाया नहीं जाता है। ये मूर्तियां सिर्फ खजुराहो में ही है, हालाँकि ये कामुकता और अंतरंगता को दर्शाती हैं।
  • हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, काम(यौन सुख) हिन्दू जीवन के चार लक्ष्यों में से एक है। अन्य तीन लक्ष्य हैं; अर्थ,धर्म और मोक्ष।
  • इन चारों लक्ष्यों को आध्यात्मिकता के शिक्षाप्रद जीवन की ओर जाने वाले मार्ग की तरह समझा जाता है।
  • नारियों के निकायों को यहाँ ज़्यादातर लुभाने वाली मुद्रा में चित्रित किया गया है।
  • ऐसा माना जाता है कि खजुराहो के मंदिरों को पूर्णतः आकर्षक बनाने के लिए ही इसके लगभग हर हिस्से में नारी की लुभावनी मुद्राएं बनी हुई हैं।
  • यहाँ की यह नक्काशीदार कामुक कला ही खजुराहो को भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
  • मंदिर के हर खंभों, स्लैबों, और दीवारों पर निपुणता से कला को उकेरा गया है, हालाँकि कई मूर्तियां समय की मार की वजह से थोड़ी टूट-फुट गई हैं पर ये इसके आकर्षण को ज़रा भी कम नहीं करती हैं।
  • यह खजुराहो की सबसे कामुक मूर्तियों में से एक है, जहाँ नर नारी अंतरंगता में मगन हैं।
  • खजुराहो के मंदिर की वास्तुकला दुनिया के सबसे बेहतरीन कलाओं में से एक है, जो इसे विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित करता है।
  • इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता,क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं।
  • ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं।
  • हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है।
  • यहां की मूर्तियां वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

खजुराहो कैसे पहुंचे - How To Reach Khajuraho in Hindi :

एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होने के नाते, खजुराहो तक पहुंचना काफी आसान है। खजुराहो का अपना घरेलू हवाई अड्डा है, जिसे खजुराहो हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है, जो इसे भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। आइये जानते हैं विभिन्न माध्यम से खजुराहो कैसे पंहुचा जा सकता है।

सड़क मार्ग के द्वारा खजुराहो कैसे पहुंचे - How To Reach Khajuraho By Road in Hindi:

खजुराहो में मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के साथ अच्छा सड़क संपर्क है। मध्य प्रदेश के आसपास और सतना (116 किमी), महोबा (70 किमी), झांसी (230 किमी), ग्वालियर (280 किमी), भोपाल (375 किमी) और इंदौर (565 किमी) जैसे शहरों से एमपी पर्यटन की कई सीधी बसें उपलब्ध हैं। एनएच 75 खजुराहो को इन सभी प्रमुख स्थलों से जोड़ता है। अगर आप रोड से खजुराहो जाना चाहते हैं तो, यह बिल्कुल भी समस्या वाला नहीं है क्योंकि खजुराहो तक पहुंचना काफी आसान है।

ट्रेन के द्वारा खजुराहो कैसे पहुंचे - How To Reach Khajuraho By Train in Hindi:

खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर में है। खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है, हालाँकि खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है। खजुराहो-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस नामक खजुराहो के लिए नई दिल्ली से एक नियमित ट्रेन है, जो खजुराहो पहुंचने के लिए लगभग 10 से 11 घंटे का समय लेती है।

फ्लाइट के द्वारा खजुराहो कैसे पहुंचे - How To Reach Khajuraho By Flight in Hindi:

दिल्ली से खजुराहो कैसे पहुंचे यह एक बहुत ही सामान्य प्रश्न है। हालाँकि, यात्रियों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि खजुराहो हवाई अड्डा, जिसे सिविल एरोड्रम खजुराहो भी कहा जाता है, शहर के केंद्र से केवल छह किमी दूर है। दिल्ली से खजुराहो के लिए कम उड़ानें हैं क्योंकि यह छोटा घरेलू हवाई अड्डा भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है, इसमें दिल्ली और वाराणसी से नियमित उड़ानें हैं। हवाई अड्डे के बाहर खजुराहो के लिए टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप मुंबई, भोपाल और वाराणसी से भी यहां पहुंच सकते हैं।

हम उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई खजुराहो मंदिर की संपूर्ण जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी।